وسيقي، ڪلا ۽ فنڪار ثقافت جو اھڃاڻ ھجن ٿا. ائين ئي جلال چانڊيو سنڌ جي لوڪ موسيقي جو ھڪ اڻ ٽٽ حصو آھي. جلال اڄ اسان ۾ ناھي پر ان جا ڪلام اڄ بہ جھر جھنگ ۾ ٻڌا ۽ ڳايا وڃن ٿا، توھان جيان اسان بہ سنڌ جي سدا بهار فنڪار کي
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